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अनुभूति में शिज्जु शकूर की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
उपयोगिता
उम्मीद... हौसला...उद्देश्य…
एक शाम
जियें शुद्ध हवा में

मानवता जयी हो

 

मानवता जयी हो

आस्था विश्वास से पैदा होती है
विश्वास उम्मीद से
और उम्मीदें
उम्मीदें कहाँ से उपजी
बातों से
या दिखावों से
या डर से या फिर
नफरतों की परिणति है ये उम्मीद
जो भी हो
आस्था विध्वंसक न हो

तथ्यपरक उम्मीद ही
हो विश्वास का आधार
ज़रा देखें
स्वयं की आँखों से देखें
और समझें तथ्य को
हो विश्वास गहरा
मगर सत्य के प्रति हो
आस्था सत्य में हो
मानवता जयी हो

७ जुलाई २०१४

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