अनुभूति में
रॉबिन शॉ पुष्प की
रचनाएँ -
गीतों में-
याद तुम्हारी
वक़्त की दहलीज़ पर
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याद तुम्हारी
जैसे पलकों में झपकी
या दरवाज़े पर थपकी
याद तुम्हारी आई
कुछ वैसे, तब की अब की!
सुधियों से धुँआया
मन ऐसे
विधवा का जलता
तन जैसे
हूँ चौखट पर, बुझी-बुझी
मैं राख प्रतीक्षा-तप की!
पर साल रहे
पेटी कंगना
पीड़ा के चरण
उगे अंगना
ठहर-ठहर, ज्यों रुकी-रुकी
गुज़र गई, मीरा अब की!
फ़रक नहीं छूए
घूँघट में
या फिर मुहरे लगें
टिकट में
दोनों बोझिल, पड़े-पड़े
गड़ते, आँखों में सबकी!
धोबिन विधि के
हाथों टूटे
टाँके गए
खुशी के बूटे
आओ भी, लाज रखो अब
प्रीत हुई, नंगी कब की!
२८ अप्रैल २००८ |