मैटरनिटी वार्ड
कराह नहीं
किलकारियों से मदहोश हैं दीवारें
चेहरों पर मायूसी का मंजर नहीं
आनन्द का अतिरेक है
मौत से लड़ने की जद्दोजहद नहीं
ज़िन्दगी नज्म बनकर उतर रही है
प्रसव-पीड़ाओं में
अभी अभी आँख मटकाता
नर्म नर्म हाथ-पाँव फैलाता
ज़मीं पर उतरेगा कोई बच्चा
और स्वागत में उसके
खिलखिला उठेंगे सैंकड़ों बच्चे
पूरा अस्पताल एक बार फिर
महक उठेगा अभी अभी जन्मे
शिशु की खुशबू से
मौत एक बार फिर थर्राएगी ज़िन्दगी से !
६ अप्रैल २००९ |