अनुभूति में
प्रेमचंद गाँधी की रचनाएँ
छदमुक्त में-
एक दुआ
एक बाल
मम्मो के लिये
मेरा सूरज
याद |
` |
एक दुआ
पवन ज़रा धीरे बहो
बादलों हट जाओ
आने दो पूनम के चाँद की पूरी रोशनी
सितारों थोड़ा और चमको
मैं अपने महबूब के
ख़त पढ़ रहा हूं
चाँदनी रात में
माहताब को देखते हुए
ख़ुतूते मुहब्बेत पढ़ना
हयात-ए-इश्क़़ में कुरानख़्वानी है।
२८ फरवरी २०११ |