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मोहन कुमार डहेरिया

1 जुलाई, 1958 को बड़कुही मध्य प्रदेश में जन्मे मोहन कुमार डहेरिया हिन्दी -जगत में नई कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। प्रगतिशील लेखक संघ से गहरा जुड़ाव रखने वाले मोहन कुमार संप्रति केंद्रीय विद्यालय में अध्यापक हैं। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उनके दो कविता संग्रह- उनका बोलना तथा कहाँ होगी हमारी जगह प्रकाशित किए गए हैं।

डहेरिया की कविताएँ लंबी लयात्मकता और उलझे समय को अपने शिल्प में व्यक्त करती हैं। इन कविताओं में ऐसे चेहरे भी हैं। जो जीवन के अँधेरे में अपना प्रकाश-वृत्त रचते हैं, जो पूरे परिवेश को आलोकित करता है और वक्त के विपुल शोर में एक विरोधी आवाज को काव्यार्थ देता है।

यहाँ प्रस्तुत कविताएँ उनका कविता संग्रह "उनका बोलना" से ली गई हैं। यह पुस्तक वेब पर पुस्तक डॉट ऑर्ग पर यहाँ से ख़रीदी जा सकती है।

 

अनुभूति में मोहन कुमार डहेरिया की कविताएँ

कविताओं में-
एक अनाम रंग के लिए
कोई नहीं जानता
घेरा
फिर किसी को याद करते हुए
मेरे अंदर कुछ है
रात
वापसी

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