यौवन
कभी पलट कर देखा है
इन बीते सालों में
उस टीले से साथ उतरते
हम तुम टकराए थे अचानक
तुम्हारी कफलिंक दूर जा गिरी थी
और टूटी थी मेरी पेन्सिल बॉक्स
कुछ हरी चूड़ियाँ चुभ गई थीं कलाई पर ......
मैंने ढूँढ ली आधी-अधूरी
कफलिंक और शायद यह
पेन्सिल बॉक्स का वह भीतरी हिस्सा हो
जिस पर आज भी हरा रंग
चढ़ा है लाल पर
वह भी चुन लाई तुम्हारी आँख बचाकर
क्योंकि तुम
सहेजना जानते हो
समेटना नहीं
समेटने से दूरी घटती है
२२ दिसंबर २०१४
|