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अनुभूति में कुमार मुकुल की रचनाएँ-

कविताओं में-
चाँदनी का टीला
दफ़्तर में लड़की
प्यार- दो कविताएँ

बेदिनी में चाँद
हथियार

  चाँदनी का टीला

चाँद को देखते हुए
मैं तय ही नहीं कर पाता
कि खुश हूँ या उदास
झुंझलाहट में
पास खड़े बच्चे से पूछता हूँ
बता तो-चाँद कहाँ है
पहले वह अपनी छाया देखता है
फिर इशारा करता है आकाश की ओर
और ज़मीन पर उभरे चाँदनी के टीलों को दिखाता है
तब मुझे लगता है
कि चाँद की बात करते हुए हम
चाँदनी में डूबी चीज़ों की बात करते हैं।

४ अगस्त २००८

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