नल
वाह रे इंसान!
मेरी सुरक्षा करना तो दूर
ले गया टोंटी उखाड़कर
तुम्हारे ही समाज का एक
सरफिरा सा सदस्य
बहता रहा पानी निरंतर
कितना गैर जिम्मेदार रवैय्या!
तुमसे भला था वह बंदर
जिसने ठूँस दी खुले गले में
लकड़ी की एक खपच्ची
बंद हो गया बहता पानी
बंदर होकर भी जिम्मेदार
क्यों करते हैं ऐसी असभ्यता
आज के ये धृष्ट इंसान!
२३ मार्च २०१५
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