तीन छोटी कविताएँ
१. कवि
प्यार करता है
कवि
प्यार करता है
फिर प्रेम विवाह करता है
फिर जीता है
भरपूर जीवन जीने की कोशिश करता है
फिर आत्महत्या करता है
कवि
कविता लिखता है
२. घर
विश्व को बना लूँ देश
और देश को घर
मैं घर को घर मानता हूँ
हर सदस्य की ज़रूरतें पूरी करता हूँ
घर में
तकरारी होती है रागात्मक
लड़ाई होती है विचारात्मक
गंभीर स्थिति पर
एकजुट हो जाते हैं सभी
फिर वहाँ मैं नहीं 'हम' होते हैं।
३. पहाड़
पहाड़
हर रोज़ टूटता है
पिघलता है
एक छितरा गुमनाम हो जाता है
एक घिस-घिस कर
ठोस हो जाता है
मुझे तलाश है स्फटिक की
जो चमक-चमक उठे पहाड़ पर।
३ मार्च २००८
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