अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ. हरेंद्र सिंह नेगी की रचनाएँ

कविताओं में-
गधोत्सव
पानी की तेज़ धारा
उन्मादी
राजा और वजीर

तीन छोटी कविताएँ-
कवि प्यार करता है, घर और पहाड़

 

तीन छोटी कविताएँ

१. कवि प्यार करता है

कवि
प्यार करता है
फिर प्रेम विवाह करता है
फिर जीता है
भरपूर जीवन जीने की कोशिश करता है
फिर आत्महत्या करता है
कवि
कविता लिखता है

२.  घर

विश्व को बना लूँ देश
और देश को घर
मैं घर को घर मानता हूँ
हर सदस्य की ज़रूरतें पूरी करता हूँ
घर में
तकरारी होती है रागात्मक
लड़ाई होती है विचारात्मक
गंभीर स्थिति पर
एकजुट हो जाते हैं सभी
फिर वहाँ मैं नहीं 'हम' होते हैं।

३. पहाड़

पहाड़
हर रोज़ टूटता है
पिघलता है
एक छितरा गुमनाम हो जाता है
एक घिस-घिस कर
ठोस हो जाता है
मुझे तलाश है स्फटिक की
जो चमक-चमक उठे पहाड़ पर।

३ मार्च २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter