खुश है हरिया
खुश है हरिया
आए हैं राजा उसके दरवाजे
आज।
राजा ने छू लिए
बस्साते बिवाई फटे पाँव
अम्मा के आज।
चुम्मा लिया छोटे से कलुआ का
जीमेंगे राजा उसके दरवाजे
आज।
पगलाया बौराया हरिया
दे गए गगरा से लोटा तक
सरपंच हरिसिंह आज।
पीठ पर हाथ धर
बोले थे हरिसिंघ
हरिया,
सुध लेना हमारी भी
आएँगे राजा आज।
राजा बड़े सीधे थे
राजा बड़े साधे थे
माँगा भी तो क्या- भोट
दे आया हरिया- भोट
कौन बड़ी बात
इत्ते बड़े राजा माँगा तो भोट
दे आया हरिया कौन बड़ी बात
जीत गए राजा
हरिया खूब नाचा
पूरा मोहल्ला
झूम-झूम नाचा।
जीत गए राजा
आज।
अब तो आएँगे राजा
रोज-रोज पानी-बूनी लाएँगे राजा
अम्मा के पाँव छू
कलुआ का चुम्मा ले
जीमेंगे राजा उसके दरवाजे।
*
नहीं आए राजा
खटिया छोड़
कुर्सी पर बिराजे हैं जबसे
ऊपर उठ गई कुर्सी
तबसे।
हरिया ने देखा, कलुआ ने देखा
अम्मा ने देखा।
देख-देख राजा को
अकड़ गई गटई
झूर गई आँखें
ऊपर हैं राजा अब
बहुत-बहुत ऊपर।
थक गया हरिया
झुक गई गटई।
समझाया अम्मा को
राजा हैं, मालिक हैं, बहुत बड़े मनई हैं।
बड़े लोग - बड़ी बात।
५ जुलाई २०१० |