अनुभूति में धीरेन्द्र प्रेमर्षि
की रचनाएँ
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गीतों में
गीत एक संगीत का
दिल रेशम की चुनरी तो नहीं
नेह दीपक
संकलन में
गुच्छे भर अमलतास- जल रहा जिया
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दिल रेशम की चुनरी तो नहीं
दिल रेशम की चुनरी तो नहीं
जो फट जाये तो सी लूँ मैं
जिस जहर में तेरा प्यार न हो
किस गम से जहर वो पी लूँ मैं
वो सपनों का घर रेत ही था
बस पवन चला और बिखर गया
वो प्यार नशा था जाम का जो
बस सुबह हुई और उतर गया
इस उजड़े चमन में आखिर क्यूँ
अब प्यार की साँसे भी लूँ मैं
जिस जहर में तेरा प्यार न हो
किस गम से जहर वो पी लूँ मैं
तुम दिल से अगर बस कह देते
हँस–हँस के सूली चढ़ जाता
चाहत की चिता ले कंधों पर
मैय्यत की डगर पे बढ़ जाता
धोखा ही सही, मिले प्यार से तो
पल भर में सदियों जी लूँ मैं
जिस जहर में तेरा प्यार न हो
किस गम से जहर वो पी लूँ मैं
१२ फरवरी २००२
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