अनुभूति में
दीपक
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तिजोरी भरी दिल है खाली
दिल के चिराग
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कविता
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दिल के चिराग
ख़्वाहिशें तो ज़िंदगी में बहुत होतीं हैं
पर सभी नहीं होतीं पूरी
जो होतीं भी हैं तो अधूरी
पर कोई इसलिए ज़िंदगी में ठहर नहीं जाता
कहीं रौशनी होती है पर
जहाँ होता हैं अंधेरा
वीरान कभी शहर नहीं हो जाता
कोई रोता है कोई हँसता है
करते सभी ज़िंदगी पूरी
16 दिसंबर 2007
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