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अनुभूति में ब्रज श्रीवास्तव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आज की सुबह
क्रूरता
खबर के बगैर
तब्दीली
तुम्हारी याद का आना
न जाने कौन सी भाषा से
भव्य दृश्य

 

तुम्हारी याद का आना

हृदय में अजीब-सी
सिहरन होने लगती है
जैसे ही शुरू होता है
तुम्हारी याद का आना

मन कुलाँचे भरने लगता है
वहाँ नहीं रहता जहाँ था
उचकने लगती है एक उमंग

अक्ल की पौध उगते ही
बदल जाता है जल रेत में
प्यास निराशा के पानी में डूब जाती है

एक नदी की धारा की दिशा बदल दी जाती है
मन को पिलाना होता है
समझौते का पानी
एक अनुभव और दर्ज़ करता हूँ
जीवन की नोट बुक में

२३ जनवरी २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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