अनुभूति में
अशोक
कुमार पाण्डेय की
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नाराजगी
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नाराजगी
नाराजगी की होती हैं
अक्सर बेहद मासूम वज़ूहात
जैसे प्यार की
कोई हो सकता है आपसे नाराज
कि आप नहीं हैं उस जैसे
और कोई इसलिये कि
बिल्कुल उस जैसे हैं आप
किसी को हो सकती है परेशानी
कि आपकी आवाज इतनी नर्म क्यूँ है
वैसे आवाज की तुर्शी बड़ी वजह है नाराजगी की
कोई नाराज है कि आपने नही समझा उसे अपना
बहुत अपना समझ बैठे नाराज कोई इसलिए
बहुतेरे लोग नाराज ज़िंदगी से
मौत से दुख ही होता है अक्सर
भगवान से नाराज बहुत से आस्तिक
शैतान से भयभीत नास्तिक भी
अब आलोचना वगैरह जैसी नामासूम वजहों की तो बात ही क्या करना
प्रशंसा भी कर जाती कितनों को नाराज
आज जो जितना नाराज है आपसे
कल कर सकता है उतना ही अधिक प्यार
दुख की नहीं है यह बात
नाराज होने की भी नहीं
हर किसी से होता ही है कोई न कोई नाराज
और जिनसे नहीं होता कोई
अक्सर वे ख़ुद से नाराज होते हैं…
२ मई २०११ |