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काली लड़की के नाम कविता
दीदारगंज की यक्षिणी |
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काली लड़की के
नाम कविता
काली लड़की!
ओ काली लड़की!
तुमसे नहीं कहा किसी ने कि
तुम बहुत सुंदर लगती हो
तुम पर किसी शायर ने शे’र नहीं कहे
तुम्हारी जुल्फ़ हैं या घटायें
आसमान पर, ऐसे लहराती हैं जैसे किसी का आँचल
तुम्हारी आँखें हैं या दो टिमटिमाते तारे
जिससे भटके हुए राही पता पूछते हैं
तुम हँसती हो तो फूल झरते हैं।
तुम्हारे हाथ कोमल है
जिसे छूने को मचलता है मन
तुम्हारी अँगुलियों को थामे थामे चलना चाहता हूँ सुनसान किसी
राह पर
या किसी झुरमुटों में
थोड़ी दूर सुस्ताने भर के लिये
तुम्हें नहीं देखा किसी ने प्यार और हसरत से
तुमसे नहीं की किसी ने तुम्हारी तारीफ़
तुम एक तारीफ़ सुनने के लिये जबकि करती हो कितने बेहतर और
बेहतरीन काम
फिर भी सबने तुम्हें अजीब निगाहों से देखा।
जैसे कह रहे हों- कैसी काली लड़की है
तुम अपने सामने हो रही
किसी सुंदर लड़की की तारीफ पर मुस्कुराती हो
अपनी वेदना को अंदर ही अंदर छुपाये।
जब तुम्हारी माँ कहती है कौन ब्याहेगा तुम्हें
तुम फूट फूट कर रोना चाहती हो
और कहना चाहती हो
मैं भी सुंदर हूँ! मैं भी सुंदर हूँ!
या नहीं हूँ सुंदर तो क्या हुआ
इसमें मेरा क्या कसूर है
देखती हो चुपचाप अकेले में आईना और सोचती हो
काश! मैं भी सुंदर होती सुंदर लड़की की तरह
मौन निहारती हो और पूछती हो क्यों नहीं बनाया भगवान ने मुझे
सुंदर!
जबकि तुम्हें भी पता है भीतर से हो तुम कितनी कोमल और सुंदर!
सपने तुम्हारा मन भी देखता है.
बुनता है ख्वाब रंग बिरंगा
तितलियों की तरह
तुम भी करती हो प्यार
सोहनी और हीर की तरह
जिंदगी के कैन्वास पर तुम उकेरती हो सुंदर से सुन्दरतम चित्र
भरती हो अपने जीवन के अनगिन अनछुए रंग
होती हो तुम और अधिक भावुक
समझती हो तुम सबसे ज्यादा दूसरों के मर्म
तुम्हारे काले हाथ सबसे पहले आगे आते हैं
किसी की मदद के लिये
तुम सबसे पहले थाम लेना चाहती हो किसी गिरते को अपनी बाँहों
में
तुम मुस्कुराते हुए चाहे जैसी भी लगती हो
चाहे तुम्हारी मुस्कान की किसी ने तारीफ़ नहीं की
लेकिन तुम फिर भी मुस्कुराती हो
सारे दुःखों को भुला कर
कि अपने दर्द को भूल कर कहना जानती हो
कोई बात नहीं, सब अच्छा होगा
काली लड़की!
मुझे तुमसे सहानुभूति नहीं
बल्कि प्यार है
हाँ बहुत प्यार है
तुम हर सुंदर लड़की तरह ही सुंदर हो
मेरे लिये वैसे ही आम नहीं ख़ास हो
अपने काले रंग के साथ
क्योंकि तुम्हारे दिल का आईना बेहद साफ़ है
जहाँ साफ़ साफ़ मुझे दिखाई देता हैं तुम्हारा सुंदर होना
तुम्हारा रूमानी होना
तुम जीवन की खोयी हुई उदास शामों की
उम्मीद सी हो
तुम्हें बार बार कहना चाहती हूँ
तुम सुंदर हो
तुम सुंदर हो
तुम बहुत खूबसूरत हो
बस मेरी बात मानो और
खुद के सुंदर होने में यकीन करो
तुम सुंदर हो सर से पाँव तक
तुम्हारा काला रंग सुनहरी शाम की याद दिलाता है
काला रंग जैसे भरी दुपहरी में घटाओं को देखना
तेरी काली आँखें में देखना जैसे
ऐतिहासिक हिंदी सिनेमा का
वह चित्र जिसमें आज भी रंगीन चित्रों की जगह
श्वेत श्याम फिल्म ही
ज़्यादा अच्छी लगती हैं
जिनमें अनगिनत प्रेम कहानियाँ
राज कपूर और नर्गिस के
सबसे महान प्रेम गीत हैं
'प्यार हुआ इक़रार हुआ है प्यार से फिर क्यों डरता है दिल...'
१५ अप्रैल २०१६ |