अनुभूति में
अनुपमा त्रिपाठी की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अनमोल पल
कोई खेतों सी
झरने लगी कविता
पलाश के
प्रगाढ़ भावों में
शब्द शब्द मन पर छाया
|
|
झरने लगी
कविता
घन घन घनन घनन
गरजे बदरा
बूँद-बूँद बरसी
टप टप
टिपिर टिपिर
शब्द शब्द
प्रवाहित हुई भाव लहरी
सक्षेम सुरलहरी सी
बहती हुई
पहुँची मुझ तक
नाद नाद जुड़ती मुझसे
सन्देस सी
आलोड़ित आह्लाद सी
किंकनी बज उठी मन की
भाव भाव जुड़े
गूँज-गूँज
गुंजित हुआ सृजन
अभिसिंचित
रुन झुन हुआ मन
गाने लगा गगन
लो उन्माद बन
झरने लगी कविता
१४ जुलाई २०१४
|