अनुभूति में
डॉ. आर. पी.
सारस्वत की रचनाएँ-
बाल गीतों में-
उड़ी पतंग
नानी की तरकीब
रात रात भर
हाथी भैया पहुँचे मंडी
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हाथी भैया पहुँचे
मंडी हाथी भैया सब्ज़ी
लेने
पहुँचे एक दिन मंडी
एक हाथ में थैला पकड़े
एक हाथ में डंडी
भिंडी, लौकी और करेला
सब के सब तुलवाए
केले के ठेले पर जाकर
अपने हाथ दिखाए
खूब खरीदी सब्ज़ी
लेकिन कीमत नहीं चुकाई
पर्स भूल आए थे अपना
घर पर हाथी भाई।
१ फरवरी २०१० |