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अनुभूति में वीनस केसरी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
क्या मिला है
दीवानों सी बातें
रात गर हूँ
हर समंदर
हम न पूछेंगे

 

हम न पूछेंगे

हम न पूछेंगे तेरे दामन में क्या है ज़िदगी,
माँग कर तुझसे किसी को क्या मिला है ज़िदगी

एक पल को हर सफ़र का अंत है और जश्न है,
और इक पल में भटकता काफिला है ज़िदगी

दोपहर में जो झुलसती साँस के जैसी मिले,
वो ही ढलती शाम को मां की दुआ है ज़िदगी

मुझसे बाज़ी जीत कर भी तू बहुत बेचैन है,
आ बता दूँ, तूने कब कब छल किया है ज़िदगी

चाहे जैसे जी ले इसको जीत कर या हार कर,
जंग भी तेरी तेरा ही फैसला है ज़िदगी 


२ मई २०११

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