होंठों से अमृत
होंठों से अमृत-खुशियाँ छलकाता है
कोई बच्चा नींद में जब मुसकाता है
हाथ पाँव मुँह और नज़र की भाषा में
माँ से वह जाने क्या क्या बतियाता है
जीवन का अद्भुत संगीत बरसता है
बच्चा जब कुछ कहता है तुलतलाता है
माँ की ममता का वह एक छत्र राजा
अपने आगे किसको कहाँ लगाता है
सारे घर का है वह एक खिलौना पर
स्वयं खिलौनों की खातिर ललचाता है
सारा घर आँगन खुशियों से भर जाता
जब वह उठकर डगमग पाँव बढ़ाता है
२९ जून २००९ |