अनुभूति में सविता
असीम की रचनाएँ-
अंजुमन में-
किया रूह को
डर कैसा रुसवाई का
लोग जब अपनापन जताते हैं
हमें ये सोचके रोना पड़ेगा
हैं आँखें खुश्क
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लोग जब अपनापन जताते हैं
लोग जब अपनापन
जताते हैं
इक नया ज़ख़्म देके जाते हैं
जब बदलना है रास्ते उनको
किसलिए झूठी कसमें खाते हैं
जिनके चेहरे पे सौ खराशें हैं
वो हमें आईना दिखाते हैं
खुद ही भटके हैं रास्ता वो लोग
सबको जो रास्ता बताते हैं
जो मुखौटे लगाके मिलते हैं
वो ‘सविता’ को जान जाते हैं
१६ जनवरी २०१२
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