अनुभूति में सविता
असीम की रचनाएँ-
अंजुमन में-
किया रूह को
डर कैसा रुसवाई का
लोग जब अपनापन जताते हैं
हमें ये सोचके रोना पड़ेगा
हैं आँखें खुश्क
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डर कैसा रुसवाई का
डर कैसा रुसवाई
का
कहना था सौदाई का
किस्सा भाई-भाई का
बँटवारा अंगनाई का
महफ़िल-महफ़िल गाते हैं
हम नग़मा तनहाई का
सहरा बोला बादल से
दर्द समझ पुरवाई का
क्या तुमको अंदाज़ा है
इस दिल की गहराई का
मौसम के अनुमान-सा है
वादा इक हरजाई का
तेरा जलवा देख सके
मक़सद है बीनाई का
अर्थ न रावण जान सका
तुलसी की चौपाई का
सौदा करने पर मजबूर
लोग ‘असीम’ अच्छाई का
१६ जनवरी २०१२
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