अनुभूति में
संजू शब्दिता की रचनाएँ-
नई रचनाओं
में-
कैसी ये मुलाकात
जरा सी बात पर
हमारी बात
हम भी अखबारों में
हमें आदत है
अंजुमन में—
ये इश्क
सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
वो मेरी रूह
हँसते मौसम
हुए रुखसत दिले-नादा
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कैसी ये मुलाकात
कैसी ये मुलाकात है कोई गिला नहीं
पहले वो कभी आज तक ऐसे मिला नहीं
हाँ बात वो कुछ और थी जब साथ हम भी थे
अब सिर्फ इत्तेफ़ाक है, अब सिलसिला नहीं
वो जब से गया मुझको जैसे साथ ले गया
ढूँढा तो बहुत खुद को पर अब तक मिला नहीं
कुछ दिन से मेरे शहर का मौसम है अनमना
गुमसुम हैं सभी बागबाँ, गुल भी खिला नहीं
किस्से तो सभी दर्द के सुनते रहे मगर
जो बाँट सके गम को वो मुझको मिला नहीं
नेकी जो करो शौक से दरिया में डाल दो
सब कुछ तो यहाँ मिलता पर अच्छा सिला नहीं
१ दिसंबर २०१४
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