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अनुभूति में पूनम शुक्ला की रचनाएँ

अंजुमन में—
आपको इस कदर
चलते चलो
जवाब आते हैं
प्यार का आसमाँ
हर किसी में

 

जवाब आते हैं

उसके कुछ यूँ जवाब आते हैं
अब तो दिन में भी ख़ाब आते हैं

कैसे कह दूँ उदास मंजर था
दिल में उठते हुबाब आते हैं

हमने जाना कहाँ है क्या मुज़मर
खुद ही खुलते नकाब आते हैं

सारे अल्फ़ाज़ सीखने बाकी
तब भी आगे खिताब आते हैं

ऐसी रहमत कभी न देखी थी
उसके खत बेहिसाब आते हैं

२६ जनवरी २०१५

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