अनुभूति में
डॉ.
नमन दत्त
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इश्क आज़ार
और कितने ज़ख़्म
क्या बतलाएँ
खुद को ग़म
ज़रा सी बात
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ज़रा सी बात
ज़रा सी बात की ऐसी सज़ा न दे तू मुझे
तमाम उम्र की तन्हाइयाँ न दे तू मुझे
मैं मुन्तज़िर हूँ तेरे प्यार की इबादत का
एक पत्थर से तराशा ख़ुदा न दे तू मुझे
खिली भी न थी, कि मुरझा गई कली दिल की
भरी बहार में यारब ख़िज़ां न दे तू मुझे
जहाँ पहुँच के मैं ख़ुद ढूँढता फिरूँ ख़ुद को
ऐसी मंज़िल का मेरे दिल पता न दे तू मुझे
१८ जुलाई २०११ |