अनुभूति में
डॉ.
नमन दत्त
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इश्क आज़ार
और कितने ज़ख़्म
क्या बतलाएँ
खुद को ग़म
ज़रा सी बात
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क्या बतलाएँ
क्या बतलाएँ कैसे गुज़र की
रोते रोते उम्र बसर की
टूट गए पैमाने अक्सर
तूने जब भी एक नज़र की
बयाँ कर रहीं एक सानिहा
गालियाँ इस वीरान शहर की
आज हर इक तूफां के लब पर
बातें हैं उस एक लहर की
अमृत था पानी जिसका, वो –
नदी बन गई एक ज़हर की
रात कह रही चीख़-चीख़ के
है तलाश पुरकैफ़ सहर की
ग़ज़ल बन गया उसका चेहरा
आज मिली है दाद हुनर की
“साबिर” उनका नूर जो देखा
आँख झुक गई शम्सो-क़मर की
१८ जुलाई २०११ |