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अनुभूति में मंजुल मंजर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
किसी बशर से
कैसे अंदाज़ लगे
दिल से तस्वीर
फिर से अच्छे हुए हालात
वो नफरतों से

 

किसी बशर से

किसी बशर से ज़ियादा की चाह मत करना।
ज़मीर कोई भी सूरत तबाह मत करना।

मिला है जो भी उसी में खुशी तलाश करो
पराए माल की जानिब निग़ाह मत करना।

किसी ग़रीब से धोखा फ़रेब मुफ़लिस से
कभी भी भूल के ऐसा ग़ुनाह मत करना।

हुआ है शेर यक़ीनन तो दाद वाजिब है
न हो पसंद तो फिर वाह वाह मत करना।

रहोगे साथ तो मंज़िल भी चूम लेगी क़दम
मुसीबतों में अलग अपनी राह मत करना। 

१ जून २०१९

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