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अनुभूति में मंजुल मंजर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
किसी बशर से
कैसे अंदाज़ लगे
दिल से तस्वीर
फिर से अच्छे हुए हालात
वो नफरतों से

 

दिल से तस्वीर

दिल से तस्वीर मिटा दोगे क्या?
दर्द सीने में दबा दोगे क्या?

ख़ुद को मजबूत दिखाने के लिए
अश्क आँखों में सुखा दोगे क्या?

दिल को देते हो तसल्ली झूठी
याद आए तो भुला दोगे क्या?

बावफ़ा था वो सँभाला न गया
बेवफ़ा है तो निभा लोगे क्या?

मान लेता हूँ बहुत सुंदर है
हुस्न पर जान लुटा दोगे क्या?

झूठे वादों ने मुझे तोड़ा है
मुझको इंसाफ दिला दोगे क्या?

गन्दगी दिल में भरी है जो वो
अबकी होली में जला दोगे क्या?

१ जून २०१९

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