अनुभूति में
मधुप मोहता की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अफसाना है क्या
दिल है, नगमानिगार रहता है
प्यार का मौसम
बरसती बारिशों की धुन
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प्यार का मौसम
लो अब आया कि अब आया तुम्हारे प्यार का मौसम
बहुत ही बेवफा निकला तुम्हारे प्यार का मौसम
ज़रा खामोश, है तनहा, तुम्हारे प्यार का मौसम
कभी जलता कभी भीगा, तुम्हारे प्यार का मौसम
कभी सूखा कभी बरसा, तुम्हारे प्यार का मौसम
मेरे दिल में ही है खिलता, तुम्हारे प्यार का मौसम
कभी मदहोश बेखुद है तुम्हारे प्यार का मौसम
कभी गिर कर सँभलता है तुम्हारे प्यार का मौसम
कभी मचला कभी रोया तुम्हारे प्यार का मौसम
कभी बच्चा कभी बूढ़ा तुम्हारे प्यार का मौसम
७ जुलाई २०१४ |