अनुभूति में
मधुप मोहता की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अफसाना है क्या
दिल है, नगमानिगार रहता है
प्यार का मौसम
बरसती बारिशों की धुन
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बरसती बारिशों की धुन
बरसती बारिशों की धुन पे लम्हें गुनगुनाते हैं
वो बरबस याद आते हैं, बरस यूँ बीत जाते हैं
किसी गुमनाम बस्ती के किसी अनजान रस्ते पर
मिला वो अजनबी, तो क्यों लगा, जन्मों के नाते हैं
कहानी की किताबों में न ढूँढो प्यार का मतलब
ये इक सैलाब है, इसमें किनारे डूब जाते हैं
नई तहज़ीब है, बाज़ार खुलने पे ये तय होगा
किसे वो भूल जाते हैं, किसे अपना बनाते हैं
मुहब्बत एक धोखा है, उसे अब कौन समझाए
न क़समें हैं, न वादे हैं, न रिश्ते हैं, न नाते हैं
७ जुलाई २०१४ |