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अनुभूति में कमल आशिक की रचनाएँ

अंजुमन में-
जान पर
तस्वीर निगाहों में

 

 

तस्वीर निगाहों में

तेरी तस्वीर है निगाहों में
दूर तक रौशनी है राहों में

आरजू अब नहीं कोई बाकी
आ गए तुम जो मेरी बाहों में

पाके तुझको तलब नहीं कोई
है शुमार आज अपना शाहों में

सुन के पत्थर पिघलने लगते हैं
दर्द इतना है मेरी आहों में

दिल मेरा मानता नहीं आशिक
एक लज़्ज़त–सी है गुनाहों में

२४ जुलाई २००६

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