अनुभूति में
गौरीशंकर आचार्य ‘अरुण’
की
रचनाएँ -
अंजुमन में-
अच्छी सी कुछ बात करें
और दिन आए न आए
दरिया तो वही है
धूल काफी जमा है
नहीं कभी भी ऐतबार हुआ
हम समंदर के तले हैं |
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और दिन आए न आए
और दिन आए न आए, एक दिन वो आएगा।
जब परिन्दा आशियाना छोडकर उड जाएगा।
मान लेगी मौत अपनी हार उसके सामने,
वक्त के माथे पे अपना नाम जो लिख जाएगा।
जख्म अपने जिस्म के ढक कर खडे हैं आप क्यों,
रहम दिल कोई तो होगा ढूंढिए मिल जाएगा।
.कत्लोगारद कर बहाया खून, उसको क्या मिला,
काश इतना सोचता वो साथ क्या ले जाएगा।
पुर सुकूं थी जिंदगी, इन्सानियत थी, प्यार था,
वक्त ऐसा इस जहां में फिर कभी क्या आएगा।
ये लुटेरों के मकां हैं, मांगने आया है तू,
भाग जा वरना जो तेरे पास है लुट जाएगा।
क्यों .कसीदे कह रहे हैं आप अपने नाम पर,
वक्त खुद अपनी जुबां से सब बयाँ कर जाएगा।
२७ दिसंबर २०१०
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