अनुभूति में
गौरीशंकर आचार्य ‘अरुण’
की
रचनाएँ -
अंजुमन में-
अच्छी सी कुछ बात करें
और दिन आए न आए
दरिया तो वही है
धूल काफी जमा है
नहीं कभी भी ऐतबार हुआ
हम समंदर के तले हैं |
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अच्छी सी कुछ बात करें
हम तुम दोनों बैठ यहाँ पर अच्छी सी कुछ बात करें।
नये सिरे से फिर रिश्तों की अच्छी सी शुरुआत करें।
हाथ बढाता हूँ मैं अपना, अपना हाथ बढाओ तुम,
हम तुम दोनों मिल जीवन को खुशियों की सौगात करें।
इसी शजर पर हम दोनों को अपने नीड बनाने हैं,
इस जंगल की आग बुझा कर, सावन की बरसात करें।
अब जब भी तुमको मैं देखूं, या मुझको तुम देखो तो,
बहने लगे प्यार का दरिया ऐसे कुछ हालात करें।
मेरा दर्द तुम्हें पीडा दे, दर्द तुम्हारा मैं भोगूं,
अब तो हम तुम दोनों ही कुछ ऐसे जज्बात करें।
२७ दिसंबर २०१०
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