अनुभूति में
अश्वनि शर्मा की
रचनाएँ-
अंजुमन में—
दलालों का हुनर
दुनियादारी है
देखिये देखिये
रात बीती
हैं ये मेहमान |
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हैं ये
मेहमान
हैं ये मेहमान बाहर से आये हुए
दिख रहे हैं मगर घर बसाये हुए
क्या है शो रूम की हैसियत सब पता
इसलिए ठेलियाँ हैं लगाये हुए
लौबियाँ खुशबुओं से गमकती हुई
तलघरों में गटर बजबजाये हुए
हल्क सूखा किया जिस्म ऐंठा किया
कीमतन हैं तलब ये बचाये हुए
ये उफनना उबलना अलग बात है
लोग हैं बस यहाँ खद्बदाये हुए
रेत क्यूँ कर जलाये न तलवे भला
दिन निकलते हैं जब तमतमाये हुए
धूप के कोप को दोष देना नहीं
लोग हैं चाँदनी के सताये हुए
२५ नवंबर २०१३ |