अनुभूति में
अनिल मिश्रा की रचनाएँ-
गीतों में-
छू दिया तुमने अचानक
छोटी सी यह बात
गा न गा कोकिल
गोरी गोरी धूप
चौराहे पर
धीरे धीरे शाम
अंजुमन में-
आज तक सबने मुझे
इंकलाबी हाथ को
फूल की खुशबू
बेखुदी में यों उधर रहे
महकती
संदली यादें |
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गोरी गोरी धूप
आँगन में आ गई हमारे
गोरी गोरी धूप
नभ में कोई जान न पाया
नज़र बचा सूरज उग आया
कहते हैं काले मेघों से
हुई अचानक चूक
लगता है अब युग बदलेगा
धरती से आकाश डरेगा
तिमिर तिरोहित कर देगा
यह उजला उजला रूप
१५ दिसंबर २०१४ |