अनुभूति में
अनिल मिश्रा की रचनाएँ-
गीतों में-
छू दिया तुमने अचानक
छोटी सी यह बात
गा न गा कोकिल
गोरी गोरी धूप
चौराहे पर
धीरे धीरे शाम
अंजुमन में-
आज तक सबने मुझे
इंकलाबी हाथ को
फूल की खुशबू
बेखुदी में यों उधर रहे
महकती
संदली यादें |
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छू दिया तुमने
अचानक
छू दिया तुमने अचानक
हो गये झंकृत हृदय के
सुप्त सारे तार
सहज था वह जानता हूँ
तुझ सुदर्शन के करों का
सहज वह स्पर्श।
पर सहज कब रह सका
पा सुपरिचित अँगुलियों का
गात मृदु स्पर्श।
सिहरता तन, तेज धड़्कन
श्वाँस भी अग गर्म
ठंडे होंठ हैं अंगार।
शांत सागर उर में छोटी
वहुत छोटी कंकड़ी को
देख लो तुम फेंक कर
किस तरह सागर सिहरता
और उठती जलधि उर में
एक छोटी सी लहर।
पार जाना चाहती वह
तोड़ कर तटबंधनों
पर बहुत लाचार
१५ दिसंबर २०१४ |