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अनुभूति में आदिल रशीद की रचनाएँ-

अंजुमन में—
गिर के उठकर
तुम्हारे ताज में
न दौलत जिंदा रहती है
पहले सच्चे का बहिष्कार

 

पहले सच्चे का बहिष्कार

पहले सच्चे का वहिष्कार किया जाता है
फिर उसे हार के स्वीकार किया जाता है

ज़हर में डूबे हुए हो तो इधर मत आना
ये वो बस्ती है जहाँ प्यार किया जाता है

क्या ज़माना है के झूठों का तो सम्मान करे
और सच्चों का तिरस्कार किया जाता है

तू फ़रिश्ता है जो एहसान तुझे याद रहे
वर्ना इस बात से इनकार किया जाता है

जिस किसी शख्स के ह्रदय में कपट होता है
दूर से उसको नमस्कार किया जाता है

११ अक्तूबर २०१०

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