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दिलों में हो फागुन, दिशाओं में रुनझुन
हवाओं में मेहनत की गूँजे नई धुन
गगन जिसको गाए हवाओं से सुन-सुन
वही धुन मगन मन, सभी गुनगुनाएँ।
नव वर्ष की शुभकामनाएँये धरती हरी हो,
उमंगों भरी हो
हरिक रुत में आशा की आसावरी हो
मिलन के सुरों से सजी बाँसुरी हो
अमन हो चमन में, सुमन मुस्कुराएँ।
नव वर्ष की शुभकामनाएँ
न धुन मातमी हो न कोई ग़मी हो
न मन में उदासी, न धन में कमी हो
न इच्छा मरे जो कि मन में रमी हो
साकार हों सब मधुर कल्पनाएँ।
नव वर्ष की शुभकामनाएँ
- अशोक चक्रधर |