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अभिव्यक्ति  

१०. ८. २००९

अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतरनवगीत की पाठशाला

जय तिरंग ध्वज लहराओ

  जय तिरंग ध्वज लहराओ

दुर्ग और मीनारों पर
मंदिर और घर द्वारों पर
अंबर के नीले तल पर
सागर के गहरे जल पर

सत्य पताका फहराओ
जय तिरंग ध्वज लहराओ

मुक्ति दिवस भारत माँ का
बीता समय निराशा का
युग-युग तक मिटने के बाद
पुन: हो रहे हैं आबाद

विजय गीत सौ-सौ गाओ
जय तिरंग ध्वज लहराओ

मिटी हमारी लाचारी
अब उठने की है बारी
आओ सब मिल काम करें
सारे जग में नाम करें

जन जन मन को हरषाओ
जय तिरंग ध्वज लहराओ

- रमेश कौशिक

इस सप्ताह
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर

संकलन में-देशभक्ति से ओतप्रोत ७० काव्य-रचनाओं का संकलन मेरा भारत

गौरवग्राम में-
९५वीं जयंती के अवसर पर- शील

अंजुमन में-
कमलेश भट्ट कमल

छंदमुक्त में-
विनोद शर्मा

हास्य व्यंग्य में-
पवन चंदन

मुक्तक में-
आचार्य संजीव सलिल

पिछले सप्ताह
३ अगस्त २००९ के अंक में

नवगीत की पाठशाला से- नये गीत

अंजुमन में-
वेदप्रकाश अमिताभ

दिशांतर में में-
सुरेश कुमार शुक्ल शरद आलोक

पुनर्पाठ में-
ज्ञानप्रकाश विवेक

मुक्तक में-
डॉ. विष्णु सक्सेना

अन्य पुराने अंक

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
 
३०,००० से अधिक कविताओं का संकलन
   
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