मौसम बीते,
गए सुभीते
धूप धूप के दिन आएदरवाजे पर देती पहरे
कड़ी दुपहरी आँगन घेरे
दीवारों पर उड़ती आग
चुप सहता सन्नाटा ताख
झरते पीले पात
हाय धरती कुम्हलाए
छाया सीते,
गए सुभीते
धूप धूप के दिन आए
हाँफे दूब पेड़ छितराए
जेठ महीना सहा न जाए
जलती पड़ी कटीली बाड़
कड़क रौशनी बंद किवाड़
बगिया जोहे बाट
कौन साँकल खटकाए
थाले रीते
गए सुभीते
धूप धूप के दिन आए
--पूर्णिमा वर्मन |