अभिव्यक्ति
कृपया केवल नए पते पर पत्र व्यवहार करें

 

१६.  १.  २००७

स्पंदन


नहीं उड़े मेरे साथ-
वे हज़ारों पक्षी
जो मेरे भीतर
उड़ाने भरते रहे

फूट कर बाहर
नहीं निकले-
वे असंख्य झरने
जो मेरे भीतर
दबे स्वरों में
रोते रहे
वे बंदी पक्षी-
जो फड़फड़ाते रहे
वे अवरुद्ध झरने-
जो कुलबुलाते रहे
कहीं वही तो नहीं थे
स्पंदन जीवन के!

—प्रवीण चंद्र शर्मा

 

 

इस सप्ताह

इस माह के कवि में-

दिशांतर में-

गीतों में-

हाइकु में-

दोहों में-

पिछले सप्ताह

गीतों में-
रमेश नीलकमल

दिशांतर में-
प्रो, राजीव कृष्ण सक्सेना

नई हवा में-
आलोक शंकर

छंदमुक्त में-
विपिन शून्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह की १–९–१६ तथा २४ तारीख को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें    लिखें

Google

 
Search WWW  Search anubhuti-hindi.org

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी