वसंती हवा

आया है वसंत सखि
- कुसुम सिन्हा

 

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अब संगीत जगेगा कोई
रुखी सूखी शुष्क धरा पर
कलिकाएँ हँस देंगी
मन के नीले अम्बर पे
प्रेम का पत्र लिखेगा कोई
आया है वसंत सखि

तरु-तरु पर तरुणाई ज्यों
सोते से जग जाएगी
डालों पर बैठी कोयल
फिर मधुगीत सुनाएगी
आया है वसंत सखि

फूल अलस आँखें खोलेंगे
भँवरे गुन गुन गाएँगे
सरिता की लहरें हिल मिल
कजली गाएगीं कोई
आया है वसंत सखि

यौवन उमंग जब मन को
चंचल कर जाएगी
बुल बुल तरु की फुनगी से
संदेश कोई लाएगी
आया है वसंत सखि

अंगडाई लेकर जैसे
पुरवाई झूम जाएगी
मौन पड़ी मन की वीणा पर
राग कोई बजाएगी
आया है वसंत सखि

९ फरवरी २००९

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