वसंती हवा

 फिर बसंत
- लेफ्टिनेंट कर्नल गोपाल वर्मा

 

नव उमंग नव आनंद
नव रंग नव सुगन्ध
आया फिर बसंत

नव चाह नव राह
नव आस नव साँस
लाया फिर बसंत

नव गुंजार नव झंकार
नव वंदन नव गान
गाया फिर बसंत

नव वसुधा नव आकाश
नव प्रभात नव प्रकाश
जगमगाया फिर बसंत

नव तुंग नव कुमकुम
नव जूही नव गुलाब
खिलाया फिर बसंत

नव कांक्षा नव रोमांच
नव संकार नव संकल्प
जगाया फिर बसंत नव

निमंत्रण नव आह्वान
नव प्रसंग नव शृंगार
मुस्कुराया फिर बसंत

नव छंद नव प्रसंग
नव अंदाज़ नव उल्लास
मनाया फिर बसंत

असंग बसंत मंगल बसंत
कंचन बसंत चंचल बसंत
निष्पंक बसंत बसंती बसंत
आया! आया!! फिर बसंत

९ फरवरी २००९

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