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अनुभूति में निर्मल विनोद की रचनाएँ-

गीतों में-
अस्थायी विवशता
गीत के शगूफे
बंधु लिखो छंद
यात्राओं के दंश
सुबहें भी देखेंगे

 

बंधु! लिखो छंद

बाँवरी दिशाओं के नाम
बंधु! लिखो छंद

देखो! रह जाय नहीं
बिना किए हस्ताक्षर
ऋतुओं के साथ हुआ--
अनुपम अनुबंध
बंधु! लिखो छंद

पिछली सब बातें
रह जातीं
इतिहास बनी
आकाशी अतियाँ सब
दर्ज करो दंद-फंद
बंधु! लिखो छंद

गोपन की
लय विहीन भाषा
क्यों लिखते हो
निष्प्रभाव ही न कहीं
पड़ा रहे सब प्रबंध
बंधु! लिखो छंद

१ अगस्त २०२२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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