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अनुभूति में मंजुलता श्रीवास्तव की रचनाएँ-

गीतों में-
आजकल पंछी
एक गीत प्रीत का
क्वार का है सुखद आना
फसल नहीं हो पायी
मन बटोही

 

मन बटोही

मन बटोही, रुक तनिक
विश्राम कर ले

कुंदनी इस भोर में
सपनों का है संसार जागा
स्याह अँधियारे में आँखें
मूँदकर है काल भागा
मुड़के पीछे देखना मत
सामने ही दृष्टि कर ले

अब हवाओं संग धुआँ
करने चला है होड़-बाजी
स्वयं को कैसे बचाए
यह मनुज अब कामकाजी
रूपसी इच्छाओं का अब
तू तनिक संहार कर ले

गोमुखी गंगा तो निर्मल
स्वच्छ निकली
राह में कितने लुटेरों
ने बना दी धार पतली
मन ठहर संकल्प कर, वर
स्वच्छता अभियान कर ले

सत-असत की भीड़ जग में
साथ मिलकर चल पड़ी है
सत्यता चुपचाप कोने
आँजुरी बाँधे खड़ी है
सत्य को पहचान कर तू
असद ऊपर जीत कर ले

१ जून २०१९

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