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अनुभूति में कुँवर रतन सिंह की रचनाएँ-

गीतों में-
ग्राम्य गीत
फाल्गुनी प्रार्थना
बिन तुम्हारे कुछ न सुंदर
विलम्बित भोर
 

 

फाल्गुनी-प्रार्थना

मुग्ध-बालिका पिचकारी ले
ताक रही प्रिय के पथ ओर
सुनते ही पदचाप–अचानक
टूट गई नजरों की डोर

बदन लाज से सिमटा, पल में
झुकीं कमान बनी भौहें
उठी उमंगें लगी रोकने
पोर-पोर पर देकर जोर

जैसे नृत्यातुरा मयूरी
पंख समेटे, शंकित हो
दृष्टिपात घातक पशुओं का
होते ही क्षण अपनी ओर

हे ईश्वर! इतनी करुणा भर
जीव-जगत-अंतस्थल में
निर्भय जीवन चले धरा पर
रहे नहीं कोई बरजोर!

१ जुलाई २०१७

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