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अनुभूति में ज्ञानप्रकाश आकुल की रचनाएँ—

गीतों में—
अट्टहासों में तुम्हारी चीख
आज आशंका अचानक
प्रश्न पहला धूप से है
रामभजन परदेस
सुनो तथागत!
हम शापों के अभ्यासी

 

हम शापों के अभ्यासी

हम शापों के अभ्यासी हैं
वरदानों से
मर जाएँगे

सारी उम्र हुए अपमानित नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे
हमने स्वागत में पाये हैं चौखट चौखट बंद किवाड़े
अपमानों ने पाला पोसा
सम्मानों से
मर जाएँगे

हार मान ली हर अवसर पर सोने चाँदी के कोषों ने
हमें ऊर्जा दी हर संभव हम में भरे हुए दोषों ने
हम दोषों के आभारी हैं
गुणगानों से
मर जाएँगे

हमें ज्ञात है किसी देव को फूल नहीं भाएँगे बासी
इसीलिये तो सोच रहे हैं तुम्हे समर्पित करके कासी
किसी दिवस मगहर में जाकर
दीवानों से
मर जाएँगे

१ दिसंबर २०१७

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