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अनुभूति में अविनाश ब्यौहार की रचनाएँ-

गीतों में-
कैसे भरूँ उड़ान
चुभती बूँदें
दूर खड़े
वर्षा गीत
सन्नाटों की झीलें
सौंधी-सौंधी गंध
हुआ तो क्या

 

हुआ तो क्या?

श्रम का ही यश-गान करेगा
घर, खपरैल हुआ तो क्या?

ऊँचे बँगलों के
कंगूरे बेईमानी की बातें करते
महानगर के बाशिंदे बन विश्वासों से घातें करते
कोई तवज्जो नहीं मिली दिल में अरमान
हुआ तो क्या

हो गईं
मुँहजोर शहर में चलती हुई हवाएँ
हैं भोंडेपन के दबाव चुप सहतीं विवश कलाएँ
हमने उनकी करी भलाई
उनको बैर हुआ तो क्या?

१ अक्तूबर २०१८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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