अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अवनीश सिंह चौहान की रचनाएँ-

गीतों में-
खोले अपना खाता
तुम न आए
पिता
मन पतंग
मेरे लिये
रंग-गंध के गाँव में

 

पिता

नदिया में मुझको नहलाया
झूले में मुझको झुलवाया
पीड़ा में मुझको सहलाए
पिता हमाए

तरह-तरह की चीजें लाते
सबसे पहले मुझे खिलाते
कभी-कभी खुद भी ना खाए
पिता हमाए

मैं रोया तो मुझे चुपाते
दुनियाँ की बातें समझाते
औ' जीने की कला सिखाए
पिता हमाए

जब से मैं भी पिता बना हूँ
पापा-सा वह शब्द सुना हूँ
पिता-बोध् स्मृति में आए
पिता कहाए

२३ अगस्त २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter