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भारत भूषण

जन्म- ८ जुलाई १९२९ को मेरठ में
शिक्षा- हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि
कार्यक्षेत्र- अध्यापन, लेखन एवं मंच पर कविता पाठ।

प्रकाशित कृतियाँ-
सागर के सीप, ये असंगति तथा मेरे चुनिंदा गीत तीन गीत संग्रह। इसके अतिरिक्त आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के कार्यक्रमों से सम्बद्ध। लगभग पचास वर्षों से भारतवर्ष के सुदूरतम स्थानों पर हुए कवि सम्मेलनों में भागीदारी। संवेदनात्मक, मधुर और साहित्यिक गीतों की रचना ही जीवन का उद्देश्य।

अंलकरण-
१९९१ में डा० राधाकृष्णन एजूकेशनल सोसाइटी मेरठ द्वारा शिक्षक दिवस पर सम्मानित। १९९४ में सुमन सम्मान से उन्नाव में अलंकृत। १९९४ में अखिल भारतीय बुद्धिजीवी सम्मेलन उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित बुद्धजिीवी मिलन समारोह में "मेरठ रत्न" से अलंकृत। १९९५ में मेरठ में नागरिक अभिनन्दन। हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय एवं साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में सम्मानपूर्वक प्रकाशित एवं प्रशंसित। हिन्दी संस्थान उ० प्र० से "साहित्य भूषण" सम्मान से अलंकृत।
१७ दिसंबर २०११ को उनका निधन हो गया

 

अनुभूति में भारत भूषण की रचनाएँ-

नये गीतों में-
किसके हुए
फिर फिर बदल दिये कैलेंडर
जैसे कभी पिता चलते थे
लौट चले हैं

गीतों में-
अब खोजनी है
आज पहली बात
चक्की पर गेहूँ
जिस दिन बिछड़ गया
जिस पल तेरी याद सताए
जैसे पूजा में आँख भरे
तू मन अनमना न कर
बनफूल
मनवंशी
मेरी नींद चुराने वाले
मेरे मन-मिरगा
ये असंगति जिंदगी के द्वार
ये उर सागर के सीप
राम की जल समाधि
लो एक बजा

सौ सौ जनम प्रतीक्षा
हर ओर कलियुग

 

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