अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में ज़्देन्येक वाग्नेर की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
अकेला दिल
आवाज़
घायल हुस्न की परझाईं
नज़दीक या दूरी में
यात्री
सूरज और चंद्र

छंदमुक्त में-
ग्रहण
दो छोटी कविताएँ
मुरझाए हुए फूल

 

आवाज

आज बड़ी दूरी से
आवाज़ आ रही है।
चमकीले सितारे
मुझसे बताती है
कि बड़ी दूरी में
तेरा हाथ रहता है।
आज बड़ी दूरी से
नूर-ए-चाँद चलता है
और इसी दूरी में
तेरा दिल सोता है।

२७ दिसंबर २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter